| 1. | दोनों नाभियों से परिधि तक जानेवाली सरल रेखा को दीर्घ अक्ष (
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| 2. | दीर्घ अक्ष पर सूर्योच्च तथा रविनीच स्थिति हैं, इसलिये इसे नीचोच्च रेखा कहते हैं।
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| 3. | आकाश में ग्रह की स्थिति जानने के लिये हमें ग्रह का दीर्घ अक्ष, उत्केंद्रता (
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| 4. | तथा दीर्घवृत्त के केंद्र से दीर्घ अक्ष पर लंब रेखा के परिधि पर्यंत भाग को लघु अक्ष (
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| 5. | (१) दीर्घवृत्त पर स्थित किसी भी बिंदु से उसकी नाभीय दूरियों का योगफल सदा दीर्घ अक्ष के बराबर रहता है तथा
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| 6. | (१) दीर्घवृत्त पर स्थित किसी भी बिंदु से उसकी नाभीय दूरियों का योगफल सदा दीर्घ अक्ष के बराबर रहता है तथा
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| 7. | मान लें दीर्घ अक्ष (2a) और लघु अक्ष (2b) का दीर्घवृत्त अभीष्ट है, तो नाभियों के बीच की दूरी 2d = होगी।
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| 8. | दीर्घवृत्त परिधि का वह बिंदु जो रवि के निकट दीर्घ अक्ष पर स्थित है उसे रविनीच, तथा जो बिंदु दीर्घ अक्ष के दूसरी ओर है उसे सूर्योच्च कहते हैं।
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| 9. | दीर्घवृत्त परिधि का वह बिंदु जो रवि के निकट दीर्घ अक्ष पर स्थित है उसे रविनीच, तथा जो बिंदु दीर्घ अक्ष के दूसरी ओर है उसे सूर्योच्च कहते हैं।
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